12 Jyotirling ke naam और कहाँ स्थित है?
12 Jyotirling ke naam: भगवान शिव के भक्तों को शिव के बेहद लगाव होता है। वो शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहते हैं। भगवान शिव भी कभी अपने भक्तों को निराश नहीं करते हैं। हर बार वो अपने भकतों की मुराद पूरी करते हें।
ऐसे में यदि आप भी भगवान शिव के भक्त हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बारह ज्योतिर्लिंग कहाँ कहाँ है। साथ ही उनकी क्या विशेषता है और क्यों उन्हें खास माना जाता है। तो चलिए शुरू करते हैं 12 Jyotirling ke naam और उनके स्थान..
शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर होता है?
12 Jyotirling ke naam और बारह ज्योतिर्लिंग कहाँ कहाँ है? इसके बारे में आपको हम जानकारी दें इससे पहले आइए हम आपको जानकारी देते हैं कि ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या अंतर होता है। क्योंकि शिव के बहुत से भक्त इन दोनों को एक ही मानते हैं। लेकिन वास्तव में ये दोनों बेहद अलग हैं।
शिवपुराण में एक कथा के के अनुसार एक बार भगवान ब्रम्हा और भगवान विष्णु में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि उन दोनों में बड़ा कौन है। इस विवाद को दोनों लोग किसी भी तरह से सुलझा नहीं पा रहे थे। तभी वहां पर अचानक भगवान शिव एक बहुत बड़े शिवलिंग के आकार में प्रकट हुए।
खास बात ये है कि वहीं पर खड़े भगवान ब्रम्हा और विष्णु ये भी नहीं जान सके कि ये शिवलिंग बनना कब शुरू हुआ था और कब अंत हुआ। बस इसे ही ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
यदि हम दोनों के अंतर की बात करें तो जो हमारे आसपास मंदिर में शिवलिंग होते हैं वो कभी ना कभी किसी इंसान के द्वारा ही बनाए गए होते हैं। जबकि जो ज्योतिर्लिग होते हैं वो स्वंयभू होते हैं। इंसान तो सिर्फ उनकी पूजा मात्र करता है। आइए अब हम आपको बताते हैं shiv ji ke 12 jyotirling kahan kahan hai.
ज्योतिर्लिंग के दर्शन को कब जाना चाहिए?
जिस तरह से किसी खास जगह जाने के लिए हमेशा कोई खास दिन होता है। वैसे ही ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का भी एक खास दिन होता है। इसलिए यदि आप ज्योतिरर्लिंग के दर्शन करने जाना चाहते हैं तो कोशिश करें कि शिवरात्री के दिन ही जाएं।
इस दिन अन्य दिनों के मुकाबले कई गुना फल प्राप्त होता है। लेकिन यदि ऐसा संभव नहीं है तो आप कभी भी जा सकते हैं। बस आपके मन में भगवान भोले के प्रति आस्था पक्की हो। यहां हम आपको “बारह ज्योतिर्लिंग कहाँ कहाँ है” यह बताने जा रहे हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि भोले का हर भक्त सभी ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके आए तभी उसकी मनोकामना पूरी होगी।
भक्त अपने सार्मथ्य के अनुसार भी दर्शन करता है, तो भी उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। इसलिए हमेशा कोशिश करें कि साल में एक बार जरूर शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके आएं। तो चलिए अब जानते है कि 12 Jyotirling ke naam क्या है और बारह ज्योतिर्लिंग कहाँ कहाँ है?
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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
सोमनाथ ज्योलिर्लिंग हम सभी जानते हैं। यह सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है। कहा जाता है कि इसका निर्माण चंद्रदेव ने करवाया था। इसकी खास बात ये है कि इसका उल्लेख चार वेदों में से एक वेद ऋगवेद में भी देखने को मिलता है। माना जाता है चंद्रदेव में इसका निर्माण सोने से और सूर्य देव ने रजत से जबकि भगवान श्रीकृष्ण ने इसका निर्माण लकड़ी से करवाया था।
यहां पर तीन नदियां हिरण, कपिला और सरस्वती का संगम भी होता है। इसलिए यहां पर जो भी त्रिवेणी स्नान करता है उसका विशेष महत्व होता है। कहा जाता है यह मंदिर तमाम लड़ाइयों में अबतक 17 बार नष्ट हो चुका है। लेकिन इसे भगवान भोलेनाथ की कृपा कहें या चमत्कार हर बार ये मंदिर बनता और बिगड़ता रहता है। यही वजह है भगवान भोलेनाथ के भक्त यहां बहुत उम्मीद से आते हैं कि भगवान भोलेनाथ उन्हें निराश नहीं करेंगे।
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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
यह मंदिर आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर की विशालता को देखते हुए इसे दक्षिण का ‘कैलाश पर्वत’ भी कहा जाता है। यह मंदिर दो लोगों के नाम से मिलकर बना है। इसके अंदर विराजमान माता पार्वती को ‘मल्लिका’ और भगवान शिव को ‘अर्जुन’ के नाम से जाना जाता है। इसलिए इसका पूरा नाम मल्लिकाअर्जुन पड़ा।
यदि हम महाभारत पर यकीन करें तो उसमें बताया गया है कि इस पर्वत पर पूजा करने से अश्वमेघ यज्ञ जितना फल प्राप्त होता है। साथ ही इस मंदिर का उल्लेख अनेक धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। इसलिए भगवान शिव के भक्तों को जब भी समय मिलता है। वो यहां दौड़े चले आते हैं।
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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
इस मंदिर की आरती पिछले कई दशकों से विश्व प्रसिद्ध है। क्योंकि इसकी आरती बेहद भव्य होती है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है। यहां के भगवान महाकाल को उज्जैन का राजा तक कहा जाता है। जबकि इस मंदिर के भक्तों को आप अक्सर ‘जय महाकाल’ का जयकारा लगाते हुए देख सकते हैं।
यह एक दक्षिणमुखी मंदिर है। यहां की पूजा भक्तों की आयु वृद्धि और आयु के हिसाब से आने वाले संकट को खत्म करने के लिए जानी जाती है। साथ ही कहा जाता है उज्जैन की रक्षा इस समय महाकाल के हाथों में ही है। इसलिए उज्जैन को कभी कुछ नहीं हो सकता है।
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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। इसकी खास बात ये है किे यह नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और यहां से मां नर्मदा ‘ओम’ के आकार में बहती हुई दिखाई देती हैं। इसीलिए इस मंदिर का नाम ओंकारेश्वर रखा गया था। साथ ही माना जाता है ओम शब्द भगवान ब्रम्हा के मुख से निकला था। इसलिए यह मंदिर अपने आप में बेहद खास महत्व रखता है।
दूसरे तमाम ज्योतिर्लिंग से यह इसलिए अलग है क्योंकि यहां भगवान शिव दो रूपों में विराज मान हैं। लेकिन उन दोनों ही रूपों को ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है। उनकी इसी माया को देखने के लिए हर साल उनके लाखों शिव भक्त भगवान ओकारेश्वर मंदिर आते हैं।
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केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के हिमालय की घाटियों में स्थित केदारेश्वर के रूप में है। यहां की खास बात ये है कि यहां बहुत ज्यादा बर्फ और ठंड पड़ती है। इसलिए यह मंदिर साल में केवल छह महीने ही खुलता है। ये छह महीने अप्रैल से नवंबर माह तक होते हैं।
इस मंदिर के अंदर भगवान केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग है और बाहर नंदी भगवान विराजमान हैं। इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और शिव पुराण में भी दिया गया है। जोिकि इसके महत्व को बताता है। उत्तरखंड में तमाम प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी यह एक ऐसा इकलौता मंदिर है जो कभी क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। लोग इसके पीछे भगवान भोले की कृपा ही मानते हैं।
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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के पुणे से यह ज्योतिर्लिंग कुल 115 किलोमीटर दूर स्थित है। यह सहाद्री नामक पर्वत के ऊपर हरी भरी वादियों में बसा हुआ मंदिर है। इस शिवलिंग का आकार मोटा होने के चलते यह वहां क्षेत्रीय भाषा में ‘मोटेश्वर मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है किे मराठा राज्य के महाराज छत्रपति इस मंदिर को बहुत मानते थे। इसलिए वह यहां कई बार पूजन करने आते थे।
मान्यता है कि जो भी शिव भक्त रोजाना सूर्य निकलने के बाद इस मंदिर के दर्शन करता है। इस दर्शन से उसके सात जन्मों तक के पाप माफ कर दिए जाते हैं। इसके बाद उसके स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं। इसलिए यहां भक्तों की हर दिन भीड़ लगी रहती है।
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विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
यह ज्योतिर्लिंग उत्तरप्रदेश के काशी में स्थित है। कहते हैं कि तीनों लोकों में काशी सबसे अलग तरह की नगरी है। जो कि भगवान शिव के त्रिशुल पर विराजमान है। कहा जाता है यदि कभी दुनिया में प्रलय भी आ जाए तो काशी को कुछ नहीं होगा। क्योंकि भगवान शिव इसे अपने त्रिशुल पर उठा लेंगे और प्रलय समाप्त होने के बाद दोबारा से इसे उसी तरह रख देंगे।
काशी में स्थित ज्योतिर्लिंग दो भागों में विभाजित है। इसके दाहिने भाग में माता पार्वती और बाएं भाग में भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। काशी में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने देश ही नहीं बाल्कि परी दुनिया से लोग आते हैं। क्योंकि कहा जाता है कि काशी सभी कष्टों का मुक्ति धाम है। साथ ही यहां मंदिर की भव्यता भी इसे देखने का एक कारण है। इसलिए सिर्फ आम लोग ही देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक यहां समय समय पर आते रहते हैं।
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त्र्यंबेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
इस मंदिर के अंदर एक गड्डे में तीन शिवलिंग मौजूद हैं। जिनमें ब्रम्हा, शिव और पार्वती मौजूद हैं। इस शिवलिंग को किसी ने स्थापित नहीं किया था। बाल्कि यह स्वंय ही प्रकट हुए थे। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में पंचवटी से लगभग 18 मील की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के कहने पर भगवान शिव को यहां रहना पड़ा था। वरना आज यहां ज्योतिर्लिंग देखने को नहीं मिलता है।
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श्री वैधनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इसकी खास बात ये है किे इसे ‘देवों का घर’ भी कहा जाता है। किसी जमाने में कहा जाता है कि यहां पर माता सती का हृदय भी गिरा था। इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहा जाता है। इसे कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि वैधनाथ ज्योतिर्लिंग यहां आने वाले हर इंसान की मनोकामना पूरी करते हैं। क्षेत्रीय लोग इसे वैधनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं।
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
यह गुजरात के जामनगर के पास स्थित है। इस मंदिर को नागों के देवता के नाम से जाना जाता है। इसलिए भगवान शिव नागों के देवता के रूप में नागेश्वर और माता पार्वती नागेश्वरी के रूप में जानी जाती हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त अपनी पूरी आस्था और लग्न के साथ आता है। भगवान नागेश्वर उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
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रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
यह चारों धामों मे से एक धाम है। यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है। हिंदु धर्म में मान्यता रखने वाले हर इंसान का जीवन में एक बार यहां आना एक बार सपना होता है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग को माता सीता ने खुद अपने हाथों से बनाया था और भगवान राम इसकी पूजा किया करते थे। यही वजह है कि भगवान राम के नाम पर इस शिवलिंग का नाम रामेश्वर रखा गया। जोिकि दक्षिण भारत में पड़ता है। यहां भी सिर्फ देश से नहीं बाल्कि विदेश से भी हर साल लाखों लोग आते हैं।
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घृष्णेश्वर ज्रूोतिर्लिंग, महाराष्ट्र
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निकट स्थित है। इसे क्षेत्रीय भाषा में घुमेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के नजदीक ही एलोरा की गुफाएं भी स्थित हैं। जो कि यूनेस्को की विश्व विरासत स्थली में भी शामिल हैं। इसलिए इस मंदिर में जो भी आता है वो एलोरा की गुफाओं में भी एक बार जरूर घूम कर आता है।
आज आपने जाना कि 12 Jyotirling ke naam क्या है और बारह ज्योतिर्लिंग कहाँ कहाँ है? आशा है आप इस लेख के माध्यम से यह जान चुकें होंगे कि 12 Jyotirling ke naam और कहाँ स्थित है इसके साथ हर ज्योतिर्लिंग का क्या महत्व है यह भी जान चुकें होंगे।