संविधान सभा के सभी अधिवेशन
Bhartiya sanvidhan ka phla adhivasan Kab hua; भारत में हमेशा से संविधान को सबसे ऊपर माना जाता है। इसकी वजह ये है कि इसे बनाने वालों ने इसके ऊपर कई सालों की मेहनत की और बेहद ही कठिन विचार विमर्श किया। इसके लिए कुल 12 अधिकवेशन किए गए। जिसमें देश के तमाम पढें लिखे लोगों ने भाग लिया। यदि आप इन अधिवेशन के बारे में नहीं जानते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको भारत में संविधान सभा का पहला अधिवेशन कब हुआ के बारे में जानकारी देंगे।
क्या होता है संविधान?
sanvidhan ka phla adhivasan Kab hua इसके बारे में आपको हम जानकारी दें। इससे पहले आइए एक बार हम आपको बताएं कि संविधान होता क्या है। संविधान एक तरह की किताब है। जिसमें देश के सभी नियम कायदे और लोगों के अधिकार और उनकी सीमाएं बताई गई हैं। खास बात ये है इस संविधान रूपी पुस्तक के बताए गए नियम कायदों को हर कोई मानने के लिए बाध्य है। फिर चाहे वो देश का कोई आम आदमी हो या देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हो।
इसके अंदर भारत के साथ जो विदेशी लोग भारत में आते हैं उनके लिए भी नियम कायदे दिए हैं। इस संविधान को बनने में लगभग 2 साल 11 महीने का समय लग गया था। जिस दौरान कई सारे अधिवेशन किए गए। जिसके अंदर तरह तरह के फैसले लिए गए। आइए अब आपको हम sanvidhan ka phla adhivasan Kab hua इसके बारे में जानकारी देते हैं। साथ ही उनके अंदर कौन से महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए इस बारे में भी बताते हैं।
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संविधान सभा का पहला अधिवेशन कब हुआ
- भारत में संविधान सभा का पहला अधिवेशन कब हुआ इसका जवाब ये है किे यह अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 से लेकर 23 दिसंबर 1946 के बीच चला। यही से संविधान के बनने की शुरूआत मानी जाती है।
- इस अधिवेशन के दौरान संविधान सभा के स्थाई और अस्थाई अध्यक्ष की निुयक्ति की गई। जो कि सभी तरह के निर्णय लेने का काम करते थे।
- पहली संविधान सभा के दौरान ही संविधान सभा का उदेश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। जिसके बारे में सभी सदस्यों को जानकारी प्रदान की गई। ताकि सभी को पता हो कि हमारा मकसद क्या है।
- नरेश मण्डल के वार्ता हेतू एक समिति का गठन किया गया। जो कि जाकर बात करने का काम करती।
- इसी अधिवेशन के दौरान ही 15 सदस्यीय प्रक्रिया और नियम संबधी समिति का गठन किया गया।
संविधान सभा का दूसरा अधिवेशन
- यह अधिवेशन 20 जनवरी से लेकर 25 जनवरी 1947 के बीच में आयोजित किया गया था। जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
- इस अधिवेशन के दौरान उद्देश्य प्रस्ताव स्वीकृत कर लिया गया था। जो कि सभी ने मिलकर तैयार किया था।
- इस अधिवेशन के दौरान संचालन समिति का निर्वाचन किया गया। जो कि अधिवेशन का संचालन करने का का काम करेगी।
- एच सी मुखर्जी इस अधिवेशन के दौरान संविधान सभा के उपाध्यक्ष चुने गए। खास बात ये है कि ये परी तरह से निर्विरोध चुने गए थे। यानि एक भी सदस्य इनके विरोध में नहीं था।
संविधान सभा का तीसरा अधिवेशन
- यह अधिवेशन 28 अप्रैल से 2 मई 1947 के बीच आयोजित हुआ। इसे हम तीसरे अधिवेशन के नाम से जानते हैं।
- इस अधिवेशन के दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राज्य समिति की रिपोर्ट पेश की।
- मूल अधिकार समिति ने इस अधिवेशन में अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश की।
- कार्यक्रम समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसके के एम मुंशी बतौर अध्यक्ष नियुक्त हुए थे।
- झंडा समिति का गठन किया गया। जिसका काम था देश का तिरंगा झंडा बनाना। इसके अंदर 13 सदस्य थे। जो कि इस बात को तय करते कि देश का तिरंगा कैसा होना चाहिए।
संविधान सभा का चौथा अधिवेशन
- यह अधिवेशन 14 जुलाई से 31 जुलाई के बीच आयोजित किया गया।
- यह एक ऐसा अधिवेशन है जो कि स्वतंत्रता प्राप्ति के ठीक पहले आयोजित हुआ। इसके बाद संविधान सभा की बैठक सीधा आजादी मिलने के बाद ही हुई।
संविधान सभा का पांचवा अधिवेशन
- यह अधिवेशन 14 अगस्त को शुरू हआ था और 30 अगस्त को समाप्त हआ था। इसकी खास बात ये थी कि इस दौरान हम लोग अंग्रेजों से आजाद हो चुके थे।
- यह भारत स्वतंत्रता एक्ट के उपबंधों के तहत आयोजित किया गया अधिवेशन था।
- संघ समिति की दूसरी रिपोर्ट पर 20 अगस्त से विचार विमर्श शुरू हुआ। इसी के अंदर संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का उल्लेख था। जिसे हम संविधान की सातवीं अनुसूची में देख सकते हैं।
- सत्य नारायण सिन्हा ने इस अधिवेशन में प्रारूप समिति का गठन किए जाने का आग्रह किया। जिसके बाद 29 अगस्त को प्रारूप समिति का गठन किया गया।
- श्री मती सुचेता कृपलानी ने इसी अधिवेशन क दौरान ही वंदे मातरम गीत का गायन किया था। जो कि आज हमारा राष्ट्रीय गीत है।
संविधान सभा का छठा आधिवेशन
- यह अधिवेशन 27 जनवरी 1948 को आयोजित हआ था। यह पहला एक दिवसीय अधिवेशन हआ था। इसे केवल एक दिन के अंदर ही समाप्त कर दिया गया था।
- इस अधिवेशन के दौरान प्रारूप समिति ने अपना प्रारूप सौपा। जिसका मतलब ये था कि हमारा संविधान इस तरह का होना चाहिए।
- संविधान सभा ने इस दौरान पूर्वी पंजाब से 16 प्रतिनिधि और बंगाल से 21 प्रतिनिधि नियुक्त कर दिए। जो कि पहले संख्या बल में कम थे। इससे उनकी बात का भी पूरी तरह से महत्व रहेगा।
संविधान सभा का सातवां अधिवेशन
- यह अधिवेशन 4 नवंबर से 8 जनवरी के मध्य आयोजित हुआ।
- दूसरी बार गठित संविधान सभा में डॉ अम्बेडकर ने अपना प्रारूप समिति के सामने सौपा।
संविधान सभा का आठवां अधिवेशन
- यह अधिवेशन 16 मई से लेकर 16 जून 1949 तक चला था।
- इस अधिवेशन में भारत को राष्ट्रमंडल के स्वरूप में बदलाव किया गया। जो कि आजादी के बाद बेहद जरूरी हो गया था।
संविधान सभा का नौवां अधिवेशन
- यह अधिवेशन 30 जुलाई से 18 सितंबर 1949 तक चला था।
- इस अधिवेशन के दौरान प्रिवी काउंसिल का क्षेत्राधिकार समाप्त किया गया।
- इस अधिवेशन के दौरान संविधान का कई दूसरी भाषाओं में अनुवाद किया गया। जिसकी वजह से आज हम अपने संविधान को कई भाषाओं में पढ़ सकते हैं।
संविधान सभा का दसवां अधिवेशन
- यह अधिवेशन 6 अक्टूबर से 17 अक्टूबर 1949 के मध्य चला था।
- इस अधिवेशन के दौरान संविधान पर दूसरा वाचन शुरू किया गया।
- संविधान की उद्देशिका को अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया गया।
संविधान सभा का 11 वां अधिवेशन
- यह अधिवेशन 14 नवंबर से लेकर 26 नवंबर 1949 तक आयोजित किया गया था।
- इसी अधिवेशन में संविधान को अंगीकृत किया गया था।
- संविधान के प्रारूप में तीसरा वाचन इसी अधिवेशन में पूरा हुआ।
- 26 नंवबर से ही संविधान के कई महत्वपूर्ण उपबंध देश में लागू हो गए। जिसमें नागरिकता, निवार्चन, संसद जैसे कुल 15 प्रावधान थे। क्योंकि इनका लागू होना उस दौरान बेहद जरूरी था।
संविधान सभा का 12 वां अधिवेशन
- यह अधिवेशन अंतिम अधिवेशन था जो कि 24 जनवरी 1950 को हुआ था। इसके बाद संविधान सभा को भंग कर दिया गया।
- इसके अंदर राष्ट्रगान के रूप में जन गण मन और राष्ट्रगीत के रूप मे वंदे मातरम को स्वीकार किया गया। जिसे आज हम लोग कई मौकों पर गाते हैं।
- इस अधिवेशन के दौरान राष्ट्रपति के निवार्चन के लिए एच वी आर आयंगर नियुक्त किया गया था।
- इसके अंदर राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद बिना किसी विरोध के चुने गए। यानि उनके खिलाफ कोई भी वोट नहीं पड़ा था।
- सदस्यों गणों ने संविधान निर्माण की तीनों प्रतियों पर हस्ताक्षर किए। जिससे सबकी एकमत सहमति को मान्य किया जा सके।
- 26 जनवरी 1950 से पूर्ण रूप से संविधान पूरे देश में लागू हो गया। इसके बाद सभी नियम और कानून संविधान के मुताबिक ही पालन किए जाने का प्रावधान किया गया।
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संविधान से जुड़ी कुछ जरूरी बातें
भारत में संविधान सभा का पहला अधिवेशन कब हुआ जानने के बाद आइए हम आपको अब संविधान से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं। जिसे हम सभी को जानना चाहिए।
- संविधान हमारे देश का सर्वोच्च है। इससे ऊपर ना तो कोई अदालत ना ही कोई प्रतिनिधि है।
- संविधान निर्माण में भले ही सैकड़ों ने अपनी भूमिका अदा की थी। पर आज भी संविधान का निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर को माना जाता है। क्योंकि इनकी भूमिका सबसे ज्यादा रही थी।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस संविधान को आज छोटे स्वरूप में करके कई किताबें लिखी गई हैं। उसके मूल स्वरूप को केवल हाथ से लिखा गया था। इसमें ना प्रिंटर का प्रयेाग हुआ था ना ही टाइपिंग मशीन का।
- संविधान को पढ़ने और समझने में आसानी रहे इसके लिए इसमें 465 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूची में बांटा गया था। हालांकि, अब इनके अंदर बदलाव कर दिया गया है।
- भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसे हाथों से लिखा गया है।
- संविधान निर्माताओं को पता था कि इसके भले ही हम कितना भी सही लिख लें पर इसके बाद भी आगे चलकर इसके अंदर सुधार करना पड़ेगा। जिसकी व्यवस्था उन्होंने तभी कर दी थी। आज मूल संविधान में 100 से भी अधिक बार बदलाव किया जा चुका है।
Conclusion
हमारी इस पोस्ट में आपने जाना कि Bhartiya sanvidhan ka phla adhivasan Kab hua यदि आप अब जान चुके हैं कि भारत में संविधान सभा का पहला अधिवेशन कब हुआ तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों तक भी शेयर करें। साथ ही यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें नीचे कमेंट करें।