भारत के पहले राष्ट्रपति कौन थे?
भारत के प्रथम राष्ट्रपति का नाम; राष्ट्रपति हमारे देश का पहला नागरिक होता है। देश में होने वाला हर काम काज राष्ट्रपति के नाम पर ही होता है। देश की सेना और तमाम आयोग का मुखिया एक तरह से राष्ट्रपति ही होते हैं। इसलिए हम लोग राष्ट्रपति के नाम से आगे गौरव से ‘महामहिम’ लगाते हैं।
लेकिन यदि आप नहीं जानते हैं कि राष्ट्रपति कौन होता है? तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि Bharat ke pratham rashtrapati kaun Hai साथ ही उनका जीवन परिचय।
राष्ट्रपति क्या होता है?
भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन है इस बारे में आपको हम बताएं इससे पहले आइए आपको एक बार समझाते हैं किे राष्ट्रपति होता कौन है। राष्ट्रपति देश का पहला नागरिक होता है। यानि कि यह प्रधानमंत्री से भी बड़ा पद होता है। लेकिन देश का वास्तविक मुखिया यदि देखा जाए तो प्रधानमंत्री ही होता है। साथ ही राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का प्रमुख होता है। इसके अलावा यदि देश या किसी राज्य में कानून व्यवस्था भंग हो जाए या किसी अन्य कारण से सीएम को पद मुक्त करना पड़े तो वहां राष्ट्रपति शासन ही काम करेगा।
इसके अलावा सभी राज्यों में राष्ट्रपति की तरफ से राज्यपाल नियुक्त होते हैं। जो कि एक तरह से राष्ट्रपति का नुमांइदा होता है। इसके बाद हमारे देश के साथ जब भी कोई समझौता होता है, तो वह राष्ट्रपति के नाम से ही किया जाता है। भले ही वह समझौता करने देश का कोई भी आदमी क्यों ना जाए। इन बातों से आप समझ गए होंगे कि राष्ट्रपति जो कि हमेशा पर्दे के पीछे रहता है, उसके हाथ में कितनी बड़ी ताकत होती है।
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राष्ट्रपति का चुनाव हमेशा से लोगों के लिए असमंजस का विषय रहा है। इसलिए यदि हम राष्ट्रपति के चुनाव की बात करें तो इसमें अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। जिसमें जनता ना भाग लेकर जनता की तरफ से चुने गए विधायक और सांसद भाग लेते हैं। इनका काम होता है कि अपनी पसंद के राष्ट्रपति को वोट करना। खास बात ये होती है किे इसके अंदर सभी राज्य और केंद्र सरकार के विजयी नेता चाहे वो पक्ष के हों या विपक्ष के हर कोई भाग लेता है। राष्ट्रपति के दावेदार भी राजनैतिक दल अपनी तरफ से खड़े करते हैं।
लेकिन इसमें एक शर्त होती है कि वह किसी लाभ के पद ना हो। चुनाव होने के बाद चुनाव आयोग वोटों की गिनती करता है और अंत में विजयी उम्मीदवार का नाम घोषित करता है। राष्ट्रपति के चुनाव की खास बात ये होती है कि इसके अंदर प्राथमिकता के आधार पर वोट देना होता है।
जैसे कि तीन उम्मीदवार हैं तो सभी के लिए 1, 2, 3 नंबर देना होगा। साथ ही यदि कभी इस चुनाव में किसी दल को गड़गड़ी की आशंका दिखाई देती है, तो वो सीधा सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है। जहां वो अपनी बात रख सकता है।
कैसे चुने गए थे पहले राष्ट्रपति?
भारत के राष्ट्रपति को चुने जाने कि जो प्रक्रिया हमने आपको ऊपर बताई उसका पालन भारत के पहले राष्ट्रपति को चुनने में नहीं हुआ था। इसका कारण ये है कि तब हमारे देश में चुनाव नहीं हुए थे। भारत के पहले राष्ट्रपति को 26 जनवरी 1950 में संवैधानिक रूप से चुना गया था। जबकि यदि हम देश में चुनाव की बात करें तो वह 1951-52 के दौरान आयोजित किए गए थे।
इसलिए जब हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ तो सभी संविधान सभा के लोगों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि कांग्रेस के नेता डॉ राजेन्द्र प्रसाद को पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना जाए। हालांकि, सुनने में यह भी आता है कि इसमें नेहरू और पटेल के बीच दो लोगों को लेकर काफी विवाद भी रहा था। लेकिन अंत में सभी ने राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर ही सहमति जताई।
इसके बाद साल 1957 में डॉ राजेन्द्र प्रसाद ही दोबारा से निर्वाचन के जरिए राष्ट्रपति चुने गए। फिर जब 1962 में राष्ट्रपति चुनाव हुए तो उन्हें हार का सामना करना पड़ा। राजेन्द्र प्रसाद की खास बात ये है कि वो अभी तक के पहले और एकमात्र राष्ट्रपति हैं जो कि दो बार चुने गए हैं। इसके बाद से अबतक कोई भी राष्ट्रपति दोबारा नहीं बन पाया है।
कौन थे डॉ राजेन्द्र प्रसाद?
डॉ राजेन्द्र प्रसाद बिहार के सिवान जिले के एक छोटे से गांव जीरादई के रहने वाले थे। इनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को हुआ था। इनके पिता का नाम महादेव था और माता का नाम कमलेश्वरी था। बचपन में इन्होंने अपनी पढ़ाई अपने गांव के ही स्कूल से पूरी की।
लेकिन पढ़ाई में बेहद होशियार किस्म में होने के चलते इन्होंने आगे की पढ़ाई बाहर जाकर पूरी की। जिसके लिए इन्होंने University of Kolkata में प्रवेश परीक्षा दी। जिसे बहुत अच्छे नंबरों से पास की। राजेन्द्र प्रसाद अपने गांव के आसपास के पहले ऐसे लड़के थे, जो कि किसी विश्वधिालय में पढ़ने जा रहे थे।
इनके राजनैतिक जीवन की बात करें तो इनकी गांधी जी से पहली मुलाकात साल 1917 में हुई। इस दौरान गांधी जी नील की खेती की समस्या को लेकर बिहार आए थे। 1919 में सविनय आंदोलन की लहर थी। जिसके चलते राजेन्द्र प्रसाद ने अपनी सरकारी नौकरी तक से त्याग पत्र दे दिया था। इसके बाद वो गांधी जी के और भी करीब आ गए। इसी तरह वो एक दिन आगे चलकर देश के राष्ट्रपति तक के पद पर सुशोभित हुए।
जबकि 28 फरवरी 1963 में इनका शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। Bharat ke pratham rashtrapati kaun Hai इनके बारे में जानने के बाद आप भी बेहद गौरव महसूस कर रहे होंगे कि किस तरह से गरीब परिवार से निकलकर राजेन्द्र प्रसाद देश के सबसे बड़े पद तक पहुंचे।
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1950 से लेकर अबतक के राष्ट्रपति
Bharat ke pratham Rashtrapati kaun the जानने के बाद आइए हम आपको अब एक Table के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि साल 1950 से लेकर अबतक भारत के राष्ट्रपति कौन कौन रहे हैं। जिसमें उनका क्रम, उनके नाम और उनका कार्यकाल क्या था।
साथ ही वो किस पार्टी से थे। कुछ राष्ट्रपति किसी दल से ना होकर स्वतंत्र थे। इसका मतलब ये हुआ कि वो किसी राजनैतिक दल से तो नहीं थे। पर उन्हें सबने मिलकर वोट दिया। इस Table ये जुड़े कई प्रश्नई प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं।
1950 से अबतक भारत के राष्ट्रपति |
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क्रम |
नाम | कार्यकाल | पार्टी |
1 | डॉ राजेन्द्र प्रसाद | 1950 से 1967 | कांग्रेस |
2 | डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 1962 से 1967 | स्वतंत्र |
3 | डॉ जाकिर हुसैन | 1967 से 1969 | स्वंतत्र |
4 | वी वी गिरी | 1969 से 1974 | स्वतंत्र |
5 | फखरूदीन अहमद | 1974 से 1977 | कांग्रेस |
6 | नीलम संजीवा रेड्डी | 1977 से 1982 | जनता पार्टी |
7 | ज्ञानी जेल सिंह | 1982 से 1987 | कांग्रेस |
8 | रामास्वमाी वेंकटरमण | 1987 से 1992 | कांग्रेस |
9 | डॉ शंकर दयाल शर्मा | 1992 से 1997 | कांग्रेस |
10 | के आर नारायण | 1997 से 2002 | स्वंतत्र |
11 | एपीजे अब्दुल कलाम | 2002 से 2007 | स्वतंत्र |
12 | प्रतिभा पाटिल | 2007 से 2012 | कांग्रेस |
13 | प्रणव मुखर्जी | 2012 से 2017 | कांग्रेस |
14 | रामनाथ कोविंद | 2017 से 2022 | बीजेपी |
15 | द्रौपदी मूर्मू | 2022 से अबतक | बीजेपी |
राष्ट्रपति से जुड़ी कुछ महत्वूपर्ण बातें
- राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी व्यक्ति की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। जबकि अधिकतम कितनी भी हो। इसका संविधान में कोई जिक्र नहीं है।
- देश का प्रथम नागरिक और संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति ही होता है। इसलिए सभी शाक्तियां उसी में निहित होती है। जिसका प्रयेाग या वह स्वंय या अपने अधीन लोगों के माध्यम से करता है।
- राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। जबकि संविधान के अनुच्छेद 56 में बताया गया है, कि वह तबतक पदमुक्त नहीं होगा जबतक अगला राष्ट्रपति अपने पद की शपथ ना ले ले।
- यदि मृत्यु या किसी अन्य कारण से राष्ट्रपति का पद खाली हो जाए तो उस दौरान उपराष्ट्रपति उस पद के रूप में कार्य करता है। यदि वो भी ना हो तो सुप्रीम के CJI (Chief Justice of India) या सबसे वरिष्ठ न्यायधीश राष्ट्रपति का कामकाज देखेंगे। साथ ही दोबारा से छह महीने के अंदर ही राष्ट्रपति का चुनाव करवाना भी जरूरी होता है। खास बात ये है कि जो दोबारा चुनाव होता है, वो पूरे पांच साल के लिए होता है ना कि केवल शेष अवधि के लिए।
- राष्ट्रपति को हर माह पद के दौरान 5 लाख वेतन मिलता है। जबकि आवास के रूप में राष्ट्रपति भवन दिया जाता है। पदमुक्त होने के बाद सालाना 9 लाख रूपए पेंशन मिलती है। ये सब टैक्स फ्री होता है।
- देश की सबसे सवोच्च अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा ही की जाती है।
- राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है। इसलिए उसके हस्ताक्षर के बिना हमारे देश में कोई भी कानून कभी भी लागू नहीं हो सकता है। इसलिए संसद से पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।
- देश में केवल राष्ट्रपति के पास वो शक्ति होती है। जिसका प्रयोग करके वो सुप्रीम कोर्ट से मृत्यु दंड की सजा पाए अपराधी की सजा उम्रकैद में बदल सकता है। लेकिन ऐसा केवल नाममात्र केसों में ही होता है। इसे क्षमादान की शक्ति कहा जाता है।
- राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का प्रमुख होता है। इसलिए वह चाहे तो युद्ध और शांति की घोषणा कर सकता है। साथ ही सेना के विस्तार की योजना भी लागू कर सकता है
Conclusion
आशा है कि हमारे इस लेख से आप समझ गए होंगे कि Bharat ke pratham rashtrapati kaun Hai यदि आप जान चुके हैं कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति का नाम, भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे। तो हमारे इस लेख को अपने दोस्तों तक भी जरूर शेयर करें। साथ ही यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें नीचे कमेंट करें।