Ashtanga yoga in Hindi | अष्टांग योग और उसके प्रकार

अष्‍टांग योग कैसे करें?

Ashtanga yoga in Hindi; योग हम सभी के लिए एक वरदान की तरह है। इसे करने वाला शायद ही कोई इंसान हो जिसे जीवन में लाभ ना प्राप्‍त हुआ है। यही वजह है कि जिस योग की शुरूआत भारत में पंतजलि ने की थी अब वो पूरी दुनिया में पहुंच चुका है। हर साल 21 जून को एक नया इतिहास लिखा जाता है।

लेकिन यदि आप अभी तक ये नहीं जानते हैं कि योग के कितने अंग हैं, तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि योग का आठवां अंग कौन सा है। योग के कितने अंग हैं।

अष्‍टांग योग क्‍या होता है?

योग एक ऐसी क्रिया होती है। जिससे इंसान शारिरिक तौर पर स्‍वस्‍थ रहता ही है। साथ ही योग करने से उसे मानसिक शांति भी मिलती है। खास बात ये है कि योग आप किसी भी जगह और कभी भी कर सकते हैं। इसी में एक अष्‍टांग योग भी होता है। जो कि योग का ही एक भाग होता है। जिसे पतंजलि ने कई चरणों में विभाजित किया है। इसके हर चरण का अपना एक अलग महत्‍व होता है। आगे हम आपको अष्टांग योग और उसके प्रकार के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। जिसमें जानेंगे कि अष्‍टांग योग का आठवां अंग कौन सा है।

योग के कितने अंग हैं

अष्‍टांग योग के सभी अंग?

अष्‍टांग योग कुल आठ भागों में विभाजित किया गया है। जिनमें सभी का अपना एक अलग महत्‍व होता है। आइए सबसे पहले आपको हम उन आठ अंगों के नाम बताते हैं। इसके बाद उनके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।

  • यम
  • नियम
  • आसन
  • प्राणायाम
  • प्रत्‍याहार
  • धारणा
  • ध्‍यान सम‍ाधि

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1. यम

महर्षि पतंजलि ने बताया है कि यम अष्‍टांग योग में सबसे पहला अंग होता है। जिसके कुल पांच उपअंग होते हैं। जिनमें अहिंसा, सत्‍य, अस्‍तेय, ब्रहाचर्य और अपरिग्रह शामिल है। यदि कोई इंसान इन पांच उपअंगों को अपने जीवन में सम‍ाहित कर लेता है, तो वह अष्‍टांग योग का पहला चरण पार कर लेता है। आइए इन पांच उपअंगों के बारे में विस्‍तार से जानते हैं।

  • अष्‍टांग योग में पहला चरण अहिंसा को दिया गया है। जिसके अंदर कहा गया है कि कोई भी इंसान अपने विचारों, शरीर और मन में किसी तरह से हिंसा का भाव ना लेकर आए। साथ ही अपने मन में किसी के प्रति बुरे विचार ना आने दे। इसके बाद वह पहला चरण पार कर जाएगा।
  • दूसरा उपअंग सत्‍य होता है। यानि कोई इंसान जब मन, कर्म और अपने वचन में केवल सत्‍य की भावना लाता है। साथ ही जीवन में केवल हर समय सत्‍य को ही प्राथमिकता देने लगता है, तो मानिए अब वो सत्‍य के उपअंग को पार कर चुका है।
  • तीसरा अंग अस्‍तेय होता है। जिसका मतलब चोरी, लालच और कुछ पाने की भावना का त्याग कर देना होता है। यदि वो लालच की भावना का त्‍याग कर देता है, तो तीसरे उपअंग को भी पार कर जाता है।
  • ब्रहम्‍चर्य उपअंग का चौथा चरण है। इसके अंदर आपको अपनी इन्‍द्रियों को वंश में करना होता है। जैसे कि भोजन, पानी और मनोरंजन आद‍ि। साथ बिस्‍तर और आरामदायक चीजों का जितना त्‍याग करना संभव हो किया जाए। यदि इसमें कोई इंसान सफल होता है तो वह अष्‍टांग योग के चौथे चरण को भी पार कर सकता है।
  • अपरिग्रह अंतिम चरण होता है। इसके अंदर व्‍यक्ति से आशा की जाती है कि वह अपने मन से लालच, चारी और आराम का त्‍याग कर चुका होगा। जिसके बाद वह दूसरे चरण में प्रवेश करने के लिए तैयार हो गया होगा।

2. नियम

यम चरण को पार करने के बाद ‘नियम’ की बारी आ जाती है। इसके भी कुल पांच चरण बताए गए हैं। जिनमें शौच, संतोष, तप, स्‍वाध्‍याय, और ईश्‍वर प्रणिधान शामिल है। कोई इंसान इन उपअंगों को अपने जीवन में समाहित कर अष्‍टांग योग के दूसरे चरण को आसानी से पार कर सकता है। आइए इसके उपअंगों को एक बार विस्‍तार से जान लेते हैं।

  • इसका पहला उपअंग है शौच यानि कि इंसान अपने मन, तन और शरीर से साफ हो। साथ ही वह जिस स्‍थान पर रहता हो वह पूरी तरह से शुद्ध हो।
  • दूसरा उपअंग संतोष होता है। इसके अंदर कोई इंसान अपनी मन की इच्‍छाओं पर काबू पा लेता है। जिससे उसके द्वारा किए गए कर्म के फल की कोई अपेक्षा नहीं रहती है। वह निरंतर कर्म करने में विश्‍वास रखता है।
  • इसका तीसरा उपअंग है तप जिसके अंदर बताया गया है कि इंसान को अपने काम के अंदर इतना लीन हो जाना चाहिए कि वो उसे एक तपस्‍या लगे। जिसमें वो पूरी ईमानदारी से काम करे।
  • चौथे नंबर पर स्‍वाध्‍याय आता है। जिसका मतलब होता है किे इंसान अपने मन के अंदर झांक कर देखे। जिससे उसे पता चले कि उसके अंदर कौन सी कमियां है। जिसे वो दूर करके आगे बढ़ सकता है। इससे वह हमेशा विपरीत हालात में खड़ा रह सकता है।
  • ईश्‍वर प्रणिधान के अंदर कहा गया है किे हमें हर समय भगवान में विश्‍वास रखना चाहिए। समय कैसा भी हो लेकिन हमारे मन में यही भाव होना चाहिए कि हमारे साथ ईश्‍वर खड़ा है और समय जल्‍द ही बदलने वाला है।

3. आसन

अष्‍टांग योग के अगले चरण में बताया गया है कि आसन भी अष्‍टांग योग का एक भाग है। लेकिन इसके अंदर योग की बात नहीं की गई है। इसके अंदर स्‍थिर सुखमय आसन कहा जाता है। यदि हम नियमित रूप से कुछ समय के लिए शांत मुद्रा में बैठें तो यह आसन पूरा हो जाएगा। जिससे हमारे शरीर को मानसिक शांति और ऊर्जा का आभास होगा। इसे पूरा करने के बाद हम तीसरा चरण भी पार कर लेते हैं। Ashtanga yoga in Hindi में आपको आसन सबसे जूरूरी बताया गया है।

4. प्राणायाम

यह अष्‍टांग योग का चौथा चरण है। इसके अंदर आपको सांस रोकने वाले कुछ योग क्रिया करनी चाहिए। जिनमें अनुलोम विलोम, भस्त्रिका प्राणायाम और कपाल भाति शामिल है। इन्‍हें नियमित करने से साधक अपनी सांस को आसानी से रोक सकता है। जिससे उसके अंदर लगातार प्राण क्षमता को रोकने की क्षमता विकसित होती जाती है। इसे पूरा करने के बाद पांचवे अंग में प्रवेश कर जाता है।

5. प्रत्‍याहार

इसके अंदर उन चीजों के बारे में बताया गया है कि जिनके जरिए हम अपने शरीर की ऊर्जा को नष्‍ट करते हैं। हमें इन पर काबू रखना है। जैसे कि बोलना, सुनना, खाना, देखना और महसूस करना आद‍ि। हमें इसके अदंर जरूरत होती है कि ये सब संयम अवस्‍था में रहें। जिससे हम लोग अपने शरीर की ऊर्जा को नष्‍ट होने से बचा सकें। Ashtanga yoga in Hindi में हम आपसे कहना चाहेंगे कि हमारे शरीर की ऊर्जा सबसे कीमती चीज होती है। जिसके जरिए हम सभी काम पूर्ण कर सकते हैं।

6. धारणा

इसके अंदर बताया गया है जब साधक पूरी तरह से पांच क्रियाएं पूरी कर लेता है तो उसे इस बात का ज्ञान हो जाता है कि उसे अपनी ऊर्जा को संचित कैसे करना है। इसके बाद उसे जरूरत इस बात की होती है कि अब वो अपनी ऊर्जा को खर्च कहां करे।

इसके लिए सबसे जरूर है कि साधक इस बात को अपने मन में बैठा ले कि उसे हमेशा वर्तमान में ही जीवन जीना है। साथ ही हमेशा भविष्‍य के बारे में विचार करना है। जो बीत गया उसे भूल जाना है। साथ ही उसके मन में हमेशा ईश्‍वर के प्रति विश्‍वास रहना चाहिए।

इतना सब करने के बाद साधक के मन में खुद से विचार उत्‍पन्‍न होंगे कि अब उसे अपनी बची हुई ऊर्जा को कहां समाप्‍त करना है। जिससे वह अपने जीवन में तरक्‍की कर सकता है।

7. ध्‍यान

इसके अंदर बताया गया है कैसे साधक किसी चीज पर अपना ध्‍यान केद्रिंत करता है। यदि साधक अपने ऊपर बताए गए अंग को पूरा कर लेता है तो उसके अंदर ध्‍यान केद्रिंत करने की इच्‍छा स्‍वंय आ जाती है। जिससे वो कभी भी अपने ध्‍यान ना लगने की समस्‍या से मुक्ति पा लेता है।

इसे पूरा कर लेने से उसके मन, मस्‍तिष्‍क में आने वाले सभी विकार दूर हो जाते हैं। जिससे वह कभी किसी चीज को लेकर परेशान नहीं होता है।

8. समाधि

अष्‍टांग योग का आठवां चरण कौन सा है। अब हम आपको इस सवाल का भी जवाब देने जा रहे हैं। क्‍योंकि यह अष्‍टांग योग का अंतिम चरण है। कोई भी साधक यहां तभी पहुंचता है जब उसने ऊपर बताए गए सभी अंग पूरे कर लिए होते हैं।

इसके अंदर कहा गया है कि साधक अपने मन में इस तरह के विचार लेकर आता है कि ये पूरी दुनिया ईश्‍वर ने ही बनाई है। इस पर बसने वाले सभी जीव और सजीव ईश्‍वर की ही देन हैं। इसलिए हमें हमेशा एक दूसरे की भलाई के बारे में सोचना चाहिए। साथ ही उसके ऊपर लगातार काम करना चाहिए। Ashtanga yoga in Hindi में अब आप योग के आठ चरणों में बारीकी से जान चुके हैं।

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अष्‍टांग योग को करने के फायदे

अष्‍टांग योग को करने के वैसे तो अनेकों फायदे हैं। लेकिन आइए अब हम आपको इसे करने के तीन सबसे महत्‍वपूर्ण फायदे के बारे में जानकारी देते हैं।

मानसिक तौर पर शांति

अष्‍टांग योग को पूरी तरह से करने का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इससे आपको पूरी तरह से मानसिक तौर पर शांति मिलती है। जिसके बाद आप अपना हर काम पूरी मेहनत और लग्‍न से कर सकते हैं। जो कि केवल योग की मदद से ही संभव हो सकता है।

शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य को बनाए रखने में

अष्‍टांग योग शरीर के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए एक संजीवनी की तरह होता है। जिसे नियमित तौर पर करने से लगातार शरीर को स्‍वास्‍थ्‍य लाभ देखने को मिलता है। इसलिए जो भी इंसान अष्‍टांग योग को पूरी निष्‍ठा और लग्‍न से करता है। उसे कभी भी किसी तरह की शरीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।

सकारात्‍मक ऊर्जा का प्रवाह

आज के समय में हर तरफ नकारात्‍मक बातें ही सुनने को मिलती हैं। ऐसे में यदि कोई इंसान अष्‍टांग योग की क्रिया को पूर्ण करता है। तो उसे सकारात्‍मक ऊर्जा से भरा माहौल मिलता है। जिसके बाद वो हर काम को अपनी पूरी निष्‍ठा और लग्‍न से करता है।साथ ही उसके ऊपर कभी किसी तरह की नकारात्‍मक ऊर्जा हावी भी नहीं होने पाती है। जो उसे अपना काम करने से रोक सके।

अष्‍टांग योग करने के दौरान कुछ सावधानी

अष्‍टांग योग एक लंबी प्रक्रिया है। इसलिए इसे करने में हमें कुछ जरूरी बातें ध्‍यान में रखनी चाहिए। ताकि इसे हम पूर्ण कर सकें। आइए उन जरूरी बातों के बारे में भी जान लेते हैं।

  • अष्‍टांग योग के हर चरण को पार करने में किसी तरह ही जल्‍दबाजी ना करें। इसके लिए सावधानी और लग्‍न से पूरा प्रयास करें।
  • अष्‍टांग योग के कुल आठ चरण हैं और कुछ के उपअंग भी दिए गए हैं। इसलिए जरूरी है क‍ि आप हर चरण को पहले तसल्‍ली के साथ पूरा करें। इसके बाद ही अगले चरण की तरफ बढ़ने का प्रयास करें।
  • अष्‍टांग योग के चरणों को यदि पूरा करने में कुछ समय भी लग जाता है तो अपने मन के अंदर विश्‍वास रखें। अपने मन में इस तरह की भावना लाएं कि हर चरण को अवश्‍य ही पूरा किया जा सकता है।
  • अष्‍टांग योग के अंदर के अंदर आपको बीच बीच में जो आसन बताए गए हैं। उन्‍हें हमेशा खाली पेट ही करें। साथ ही संभव हो तो किसी पार्क आदि में भी चले जाएं।
  • यदि आपको मोटिवेशन की कमी या जानकारी का अभाव महसूस हो तो आप अपने आसपास किसी योगी अचार्य के पास जाकर उसे अपनी समस्‍या से अवगत करवा सकते हैं। जिसका वो आपको समाधान दे देगा।

Conclusion

आशा है हमारी इस पोस्‍ट Ashtanga yoga in Hindi को पढ़ने के बाद आप जान चुके होंगे कि योग का आठवां अंग कौन सा है। यदि अब आप जान चुके हैं कि योग के कितने अंग हैं तो हमारी इस पोस्‍ट को अपने दोस्‍तों को भी अवश्‍य शेयर करें। साथ ही यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें नीचे कमेंट करें।

नमस्कार दोस्तों, मैं Deepak "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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