Ahinsa parmo dharma | अंहिसा परमो धर्म
गीता में श्रीकृष्ण ने उपदेश दिया था कि ‘अहिंसा परमो धर्म’ यह उपदेश इतना प्रचलित है कि आज भी हमारे देश के हर बच्चे बच्चे की जुबान पर होता है। क्योंकि इसका मतलब ही इतना खास होता है। यदि आप Ahinsa parmo dharma का मतलब अभी तक नहीं जानते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि ‘अंहिसा परमो धर्म’ का मतलब क्या होता है। साथ ही यह पूरा श्लाके किस तरह से है। क्योंकि इस श्लोक को आपने जहां भी देखा होगा वहां आपको ये अधूरा ही लिखा दिखाई देता है।
गांधी से क्यों जुड़ा है अंहिसा परमो धर्म?
अंहिसा परमो धर्म का उपदेश भले ही भगवत गीता से संबधित है। परन्तु इसमें गांधी का नाम भी जुड़ा है। क्योंकि इसे लोकप्रिय करने वाले गांधी ही थे। बात हमारी आजादी से पहले ही है। जब हमारे देश में अंग्रेज कारोबार करने आ रहे थे। तब भारत के लोगों ने उन्हें इजाजत दे दी थी। जिससे वो अपना कारोबार पूरी तरह से भारत में शुरू कर चुके थे।
लेकिन जैसे जैसे उनका कारोबार आगे बढ़ता गया वो भारतीयों पर अत्याचार करने लगे। भारतीयों को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं आया ऐसे में भारतीयों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया।
इस विरोध को समाप्त करने के लिए गांधी ने तब लोगों से कहा कि ‘अंहिसा परमो धर्म’ जिसमें गांधी जी का कहना था कि हमें कभी भी हिंसा नहीं करनी चाहिए। साथ ही यदि कोई हमारे घर आता है तो वह हमारे लिए भगवान के स्वरूप होता है। जिसका असर भी जमीन पर देखने को मिला था। जिसके बाद से मानो गीता का यह श्लोक और इसका अर्थ लोगों की जुबान पर बस गया। तब से लेकर आज तक जब भी हिंसा की बात बात आती है। तो इस श्लोक को याद किया जाता है।
ये भी पढ़ें: कबीर दास के गुरु कौन थे?
गीता का यह पूरा श्लोक क्या है?
बहुत से लोग जिन्होंने गांधी जी की तरफ से बताया गया श्लोक ही सुना है। दरअसल वो इसे अभी भी इसे पूरा नहीं जानते हैं। क्योंकि पूरा श्लोक और उसका अर्थ कुछ और है। आइए हम आपको बताते हैं कि गीता का यह पूरा श्लोक क्या है। साथ ही इसे पूरा क्यों नहीं बताया जाता है।
अंहिसा परमो धर्म: धर्म हिंसा तथैव च:
Ahinsa parmo dharma श्लोक का अर्थ
अब आपने जाना कि गीता का यह पूरा श्लोक क्या है। यह श्लोग गीता के 116 वें अध्याय में दिया गया है। जबकि यदि हम इस श्लोक के अर्थ की बात करें तो यह होता है किे हिंसा ना करना हमारा सबसे बड़ा धर्म है। लेकिन यदि धर्म की बात आ जाए तो हिंसा करना सबसे बड़ा धर्म है। यानि कि यदि हम पूरा श्लाके पढ़ें तो हिंसा करना और ना करना समय और परिस्थिति पर निर्भर बताया गया है। लेकिन हमें पूरा इसलिए नहीं बताया जाता है। क्योंकि इससे सद्भावना बहाल करने में मुश्किल आ सकती है।
ये भी पढ़ें: राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत में क्या अंतर है?
अंहिसा का का सही अर्थ
गीता में श्लोक में सबसे ज्यादा ‘अंहिसा’ पर बल दिया गया है। इसलिए यदि हम अंहिसा के अर्थ की बात करें तो यह होता है कि किसी भी इंसान या जानवर को तन, मन कर्म या वचन से किसी तरह का नुकसान ना पहुंचाना। अपने मन में किसी के प्रति बुरे भाव ना लाना। जिससे किसी का नुकसान हो सके। अंहिसा ना करने के अंदर यह भी शामिल है कि आप यदि कहीं हिंसा को होते देखें तो उसे रोकने का भी अपना हर संभव प्रयत्न करें। जिससे उसे बढ़ावा ना मिल सके। यदि आप ऐसा करते हैं तो आप सच में अंहिसा का पालन वाले कहे जाएंगे।