Arjun ke 10 naam: महाभारत देखने वाले लोग अर्जुन से बखूबी परिचित होंगे। उन्होंने महाभारत के अंदर अर्जुन के अनेकों रूप देखे होंगे। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि अर्जुन के कुल 10 नाम थे। साथ ही हर नाम का एक अलग मतलब भी होता था।
यदि आप भी अर्जुन के 10 नाम नहीं जानते हैं तो हमारी इस पोस्ट को अंत तक पढि़ए। अपनी इस पोस्ट में हम आपको अर्जुन के 10 नाम और उनके कारण के बारे में आपको विस्तार से जानकारी देंगे।
अर्जुन के 10 नाम
आइए आपको अब हम अर्जुन के 10 नाम के बारे में जानकारी देते हैं। पहले आपको हम अर्जुन के 10 नामों के बारे में जानकारी देंगे। इसके बाद आपको उनके कारण के बारे में बताएंगे। ताकि आपको उस नाम का सही मतलब समझ आए।
- फाल्गुन
- किरीटी
- महाबाहो
- धनञ्जय
- पुरुषर्षभ
- कौन्तेय
- परन्तप
- पार्थ
- गुडाकेश
- कपिध्वज
फाल्गुन
कुछ जगह जानकारी मिलती है कि अर्जुन इंद्र के पुत्र थे। लिहाजा अगर हम लोग इंद्र का पर्यायवाची देखें तो मिलता है ‘फाल्गुन’। इस तरह से उन्हें फाल्गुन के नाम से भी जाना जाने लगा था। जो कि बहुत ही अच्छा नाम माना जाता है।
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किरीटी
हम सभी जानते हैं कि अर्जुन इंद्र के पुत्र थे। साथ ही अर्जुन और इंद्र के बीच गहरा प्यार भी था। इसलिए जब इंद्र को लगा कि पृथ्वी पर असुरों की ताकत बहुत ज्यादा बढ़ गई है। तो उन्होंने अर्जुन को अपना मुकुट पहनाया और कहा कि जाओ पृथ्वी पर असुरों का अंत करो।
लिहाजा हम सभी जाते हैं कि मुकुट का पर्यायवाची ‘किरीटी’ होता है। इसलिए उनका एक नाम किरीटी भी पड़ गया। जिसे हम लोग आज अर्जुन के 10 नाम में से एक नाम के तौर पर जानते हैं।
महाबाहो
अर्जुन के 10 नाम में एक नाम उनका महाबाहो भी था। उन्हें ये नाम इसलिए दिया गया था। क्योंकि जब वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी तो कहा था कि अर्जुन के जैसा योद्धा ना तो इस पृथ्वी पर पहले कभी पैदा हुआ था, ना ही आगे कभी पैदा होगा।
उनकी दो भुजाएं मानो अनेकों भुजाओं के बराबर काम कर रही हों। यही वजह है कि उन्हें ‘महाबाहो’ का नाम दिया गया था। क्योंकि उनके काम को देखकर ऐसा लगता है कि मानो उनकी बहुत सारी भुजाएं थी।
धनंजय
अर्जुन ने जब हस्तिनापुर को जीत लिया था तो अपने घर में एक यज्ञ करवाया था। इस यज्ञ के बाद उन्होंने अपने आस पास सभी राज्यों को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए निमंत्रण भेजा था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
लिहाजा इसके बाद अर्जुन ने उन्हें भी जीत लिया। उन्हें जीतने के बाद उन्हें बहुत सारा धन और सोना चांदी मिला। जिस कारण से उन्हें ‘धनंजय’ नाम दिया गया। क्योंकि इस नाम का मतलब बहुत ज्यादा धनवान आदमी होता है।
पुरुष वृषभ
वृषभ का हिन्दी में अर्थ बैल होता है। लिहाजा सभी लोग अर्जुन की मेहनत और पुरूषार्थ से बखूबी परिचित थे। इसलिए उनके इस साहस को जताने के लिए उन्हें वृषभ के नाम से बुलाते थे।
आप समझ गए होंगे कि उनके इस नाम का अर्थ यही था कि आज जिस तरह से वो इतना ज्यादा परिश्रम कर रहे हैं। वो वाकई किसी इंसान के बस का संभव नहीं है। लिहजा उनके 10 नामों में एक वृषभ भी शामिल हो गया।
कौन्तेय
आपने अर्जुन के सबसे ज्यादा इसी नाम के बारे में सुना होगा। क्योंकि जब उन्होंने युद्ध जीत लिया था तो उन्हें “है कौन्तेय पुत्र अर्जुन आपका इस हस्तिनापुर राज्य में स्वागत है”
यह नाम उनकी माता के नाम पर पड़ा था। क्योंकि उनकी माता का नाम कुंती था। लिहाजा उन्हें भी इस तरह का नाम दे दिया गया था।
परन्तप
अर्जुन शुरूआत से ही एक योद्धा के तौर पर जाने जाते रहे हैं। वो हमेशा से अपने सभी शत्रुओं को किसी ना किसी तरह का नुकसान पहुंचाते रहते थे। इसलिए जब भी वो किसी शत्रु पर अपनी निगाहें गढ़ाते थे तो उसे ताप चढ़ जाता था।
इसलिए उनके इस साहस को दिखाने के लिए उनका एक नाम ‘परन्तप’ रख दिया गया। जो कि उनके साहस को एक तरह से सलाम करने के लिए रखा था।
पार्थ
अर्जुन को पार्थ इसलिए कहा जाता था क्योंकि अर्जन की मां कुंती के नाम का पर्यायवाची पर्था भी था। इसलिए अर्जुन को श्री कृष्ण ‘पार्थ’ के नाम से बुलाया करते थे। और जब श्री कृष्ण उन्हें पार्थ के नाम से बुलाया करते थे तो यकीन्न उनका ये नाम पड़ना ही था।
क्योंकि श्री कृष्ण ही वो इंसान थे जिनकी बदौलत अर्जुन ने महाभारत में विजय पाई थी और हस्तिनापुर में कब्जा जमा पाए थे। श्री कृष्ण अर्जुन के साले भी लगते थे। साथ ही महाभारत में वही उनके सारथी बने थे।
गुडाकेश
यदि हम अर्जुन के 10 नाम में उनके गुडाकेश नाम की बात करें यह भी उनका काफी मशहूर नाम था। क्योंकि यह नाम उनको उनके घुंघराले बाल की वजह से दिया गया था। इसके लिए कई बार ये भी कहा जाता है कि उनका सोने यानि नींद के ऊपर बहुत ज्यादा नियंत्रण था। इसलिए भी उन्हें गुडाकेश कहा जाता है।
कुछ पंडित लोग इसे इस तरह से भी देखते हैं उनका हर इंद्री पर जिस तरह से उनका नियंत्रण था वो उन्हें वाकई गुडाकेश कहलाने के योग्य बनाता था। क्योंकि जिस इंसान का अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं होता है, वो सही मायने में आलसी बन जाता है।
कपिध्वज
अर्जुन और हनुमान के रिश्ते के बारे में हम सभी अच्छे से जानते हैं। उनके रथ पर हमेशा हनुमान जी भगवा ध्वज में विराजमान रहते थे। उनके इसी प्यार को देखते हुए उन्हें लोग प्यार से कपिध्वज के नाम से बुलाते थे।
इस तरह से हम देखते हैं कि कैसे अर्जुन और श्री कृष्ण ने साथ ही मिलकर हनुमान जी के आर्शीवाद से महाभारत में विजय पाई थी।
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Conclusion
आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि। साथ ही अर्जुन के 10 नामों का सही मतलब क्या था। उनके हर नाम का मतलब जानकर आप समझ गए होंगे कि सही मायने में उनके हर नाम के पीछे उनकी वीरता और पराक्रम ही छिपा था। जो कि उन्होंने हर दिन दिखाने का काम किया था। यदि आपको अर्जुन के 10 नाम पसंद आए हैं तो आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर करें।
Note; अर्जुन के इसके अलावा भी कई अन्य नाम हैं। लेकिन हमने आपको यहां अर्जुन के 10 प्रमुख नाम ही बताए हैं।