Jansankhya visfot kya hai?, जनसंख्या विस्फोट के 10 कारण, प्रभाव व उपाय

जनसंख्‍या विस्‍फोट, Jansankhya visfot kya hai?

भारत में जिस तरह से लगातार जनसंख्‍या बढ़ती जा रही है। उसने आज हमारे देश में बहुत सारी समस्‍याओं को जन्‍म दे दिया है। जिसकी वजह से आज हम सभी लोग हर रोज परेशान होते हैं। पर शायद कभी हम उसे समझ नहीं पाते हैं। आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताते हैं कि जनसंख्या विस्फोट क्या है (Jansankhya visfot kya hai)। जनसंख्या विस्फोट के कारण क्या है और इससे किस तरह की समस्‍याएं पैदा होती हैं और उनका समाधान किस तरह से किया जा सकता है।

भारत एक विकासशील देश है और जल्‍द ही विकसित देश बन जाएगा। इस बात को हम दशकों से पढ़ते और सुनते आ रहे हैं। लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि आखिर भारत विकसित देश कब बनेगा? वो कौन सी समस्‍या है जो आज भी भारत को विकसित देश बनने से रोक रही है। तो इसका एक ही जवाब है ‘जनसंख्‍या विस्‍फोट’।

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जनसंख्या विस्फोट क्या है? | Jansankhya visfot kya hai

जनसंख्‍या विस्‍फोट उसे कहा जाता है जब किसी भी देश की जनसंख्‍या बेहद तेजी से बढ़ने लगती है। भारत आज चीन के बाद दुनिया में जनसंख्‍या के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। यदि हम क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो भारत शयद दुनिया में सबसे घनी आबादी वाला देश कहा जाएगा। लेकिन समस्या ये है कि अब भी भारत की जनसंख्‍या लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है।

जिसके चलते आज ना सिर्फ हमारा देश दुनिया में पिछड़ रहा है। बाल्‍कि‍ हमारे देश के संसाधन भी समाप्‍त होने की कगार की तरफ बढ़ रहे हैं। जिसके चलते एक बड़ी आबादी को बहुत सारी समस्‍याओं के बीच ही अपना पूरा जीवन गुजारना पड़ रहा है। किसी भी देश की जनसंख्‍या जब इतनी तेजी से बढ़ने लगती है, तो उसे ही जनसंख्‍या विस्‍फोट कहा जाता है।

भारत की जनसंख्‍या वृद्धि दर

अभी आपने जाना कि “जनसंख्या विस्फोट क्या है” आइए अब हम आपको आजादी के बाद से अब तक जनगणना के आंकड़े बताते हैं। जिसकी मदद से आप समझ सकते हैं कि हमारे देश की जनसंख्‍या किस तेजी से बढ़ रही है और इसे रोकना कितना जरूरी हो गया है।

भारत की जनसंख्‍या और उसकी वृद्धि दर

जनगणना वर्ष जनसंख्‍या (करोड़ में) दशकीय वृद्धि दर
1951 36.1 13.31%
1961 45.96 21.62%
1971 54.82 24.80%
1981 68.33 24.66%
1991 84.64 23.87%
2001 102.87 21.54%
2011 121 17.64%
2021 की जनगणना के आंकड़े अभी भारत सरकार की तरफ से जारी नहीं हुए हैं

 

जनसंख्या विस्फोट के कारण

जनसंख्या विस्फोट क्या है जानने के बाद आइए अब हम आपको बताते हैं कि आखिर भारत में इतनी तेजी से जो ये जनसंख्‍या बढ़ रही है। जनसंख्या विस्फोट के कारण क्‍या हैं।

जनसंख्या विस्फोट के कारण

समाज में फैली अशिक्षा

हमारे देश में अब भी बहुत से लोग अशिक्षित हैं। ये बात हम सभी जानते हैं। जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारणों में से ये भी है। जब लोग अशिक्षित होते हैं तो उन्‍हें पता नहीं होता है कि जनंसख्‍या बढ़ने से देश को क्‍या नुकसान होते हैं। जनसंख्‍या हमारे देश के विकास में किस तरह से बाधा बनने का काम करती है।

इसलिए जरूरी है कि हर कोई देश में शिक्षित हो और जानें कि जनसंख्‍या बढ़ने से किस तरह का नुकसान होता है। ताकि जनसंख्‍या नियंत्रण में हर कोई अपनी अहम भूमिका अदा कर सके।

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गरीबी

हमारे देश में अब भी बहुत से इलाके ऐसे हैं जहां बहुत गरीबी है। लोग इतने गरीब हैं कि उन्‍हें लगता है कि यदि उनके यदि ज्‍यादा बच्‍चे होंगे तो वो सभी मिलकर कमाएंगे और हम आगे चलकर अमीर हो जाएंगे। लेकिन वास्‍तव में होता बिल्‍कुल इसके उल्‍टा है। ज्‍यादा बच्‍चे होने से पहले तो उनका लालन पालन अच्‍छे से नहीं हो पाता है।

इसके बाद उनकी शिक्षा भी पूरी नहीं हो पाती है और उन्‍हें कमाने भेज दिया जाता है। लिहाजा वो कभी भी अपने जीवन में कामयाब नहीं हो पाते हैं। जिससे अंत में देश पर ही उनका बोझ पड़ता है। जिसके चलते सरकार का बहुत सारा पैसा गरीबों के लिए योजनाएं चलाने में ही चला जाता है।

लड़का पैदा होने ही चाहत

हमारे समाज में लोगों की बेटे की चाहत किसी से छिपी नहीं है। बहुत से लोग अब भले ही बेटे और बेटी में फर्क नहीं करते हैं। लेकिन कुछ लोगों की सोच अब भी बेटे पर ही अटकी रहती है। ऐसे लोगों के परिवार में यदि एक दो बेटी हो जाती हैं, तो भी वो और बच्‍चे पैदा करते ही रहते हैं। इसके पीछे उनकी बेटा पाने की चाहत जिम्‍मेदार होती है। लेकिन वो बेटे की चाहत में ये बात भूल जाते हैं कि उनकी इस चाहत से देश पर जनसंख्‍या का बोझ बढ़ता है। साथ ही उनका परिवार गरीबी के बौझ के नीचे दबता चला जाता है।

जनसंख्‍या नियंत्रण के उपाय की जानकारी ना होना

आज विज्ञान इतनी तरक्‍की कर चुका है कि हमारे पास जनसंख्‍या नियंत्रण के बहुत से उपाय मौजूद हैं। जबकि कुछ दशक पहले केवल नसबंदी ही मौजूद थी। जिसे लोग बेहद पीड़ा दायक मानते थे। लेकिन बहुत से लोग आज इन नए उपायों की जानकारी नहीं रखते हैं। वो जाने अनजाने देश की जनसंख्‍या को बढ़ाने का काम करते हैं। इसलिए सभी को चाहिए कि वो इन उपायों के बारे में जाने और इनको अपनाएं। ताकि बिना इच्‍छा के गर्भधारण से बचा जा सके और देश की जनसंख्‍या को रोका जा सके।

समाज की खराब मानसिकता

बढ़ती जनसंख्‍या के पीछे समाज की मानसिकता भी काफी हद तक जिम्मेदार है। क्‍योंकि गांव देहात में अब भी ये माना जाता है कि यदि किसी परिवार में चार भाई हैं और तीन भाई के कई बच्‍चे हैं। तो चौथा भाई भी अपने कई बच्‍चे पैदा करेगा ही। अन्‍यथा उसे लगेगा कि मेरा परिवार मेरे भाइयों से छोटा रह जाएगा। जिससे उन्‍हें समाज में सिर नीचा सिर करके जीना होगा। इसलिए जरूरी है कि इस तरह की मानसिकता को समाज से समाप्‍त किया जाए। साथ ही इस मुहिम को बढ़ावा दिया जाए कि ‘छोटा परिवार, सुखी परिवार’।

सरकारी प्रचार प्रसार की कमी

जनसंख्‍या विस्‍फोट के पीछे एक कारण ये भी है कि आज सरकार जो इस पर प्रचार प्रसार का काम करती है। वो अक्‍सर शहरों में ही दम तोड़ देता है। लिहाजा गांव देहात के उन इलाकों में ये अभियान कभी पहुंच ही नहीं पाता है। जहां इसकी सख्‍त जरूरत होती है। इसलिए सरकार को चाहिए कि ऐसे अभियानों को हमेशा ग्रामीण इलाकों को केंद्र में रखकर ही चलाया जाए। साथ ही इन पर पूरी निगराानी भी रखी जाए।

कम उम्र में विवाह होना

हमारे देश में अब भी बेटियों की बेहद कम उम्र में शादी कर दी जाती है, उन्हें यह भी नहीं पता होता कि  शादी के लिए क्या जरूरी है  खास तौर पर गांवों में ये चलन काफी है। इसका नतीजा ये होता है कि उन्‍हें इतनी कम उम्र में परिवार नियोजन की समझ नहीं होती है। साथ ही वो अपने आप कोई निर्णय भी नहीं ले पाती हैं।

लिहाजा कई बार तो वो परिवार के दबाव में आकर ही कई बच्‍चे पैदा करने को मजबूर हो जाती हैं। जिससे उन्‍हें आगे चलकर पता चलता है कि उनका ये फैसला देश के लिए कितना गलत साबित होता है। साथ ही वो अपने बच्‍चों को अच्‍छे से पढ़ा लिखा भी नहीं पाती हैं।

कम होती शिशु मृत्‍यु दर

हमारी मेडिकल साइंस लगातार तरक्‍की करती जा रही है। ऐसे में पहले जहां बहुत से बच्‍चों की पैदा होने के दौरान ही मृत्‍यु हो जाती थी। तो आज वहीं ये संख्‍या नाम मात्र रह गई है। इसलिए कहा जा सकता है। कि आज मृत्‍यु दर बेहद नाम मात्र रह गई है। इसलिए भी हमारे देश की जनसंख्‍या बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव

लगातार बढ़ती जनसंख्‍या का हमारे समाज और देश पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। जिसका वर्तमान समय में प्रभाव भी दिखाई दे रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि हमारे देश पर जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव पड़ें है।

जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव

कृषि पर प्रभाव

जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव खेती पर सबसे अधिक दिखाई दे रहें है। जनसंख्या विस्फोट के कारण आज हमारे देश में खेती के लिए जमीन बेहद ही कम बची है। जिसके चलते कई जगह छतों पर भी खेती करनी पड़ रही है। इससे कृषि का उत्‍पादन तो प्रभावित होता ही है। साथ ही फसलों की गुणवत्‍ता भी खराब होती है। जिससे समाज में कई तरह की बीमारियां फैलती हैं।

खाने पीने की चीजों की कमी

जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव खाने पीने की चीजों पर भी अधिक पड़ें है। क्‍योंकि जितने ज्‍यादा लोग होंगे उतनी ही चीजों की जरूरत होगी। ऐसे में जब हमारे देश की जनसंख्‍या ज्यादा होगी तो लाजमी सी बात होगी कि खाने पीने की चीजों की बाजार में कमी देखने को मिलगी। जिससे या तो चीजें महंगी हो जाएंगी या सरकार को दूसरे देशों से वो चीजें आयात करनी होगी। इस प्रकार जनसंख्या विस्फोट के कारण देश पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

रहने की जगह की कमी

हमारे देश के महानगरों में आज रहने की कितनी समस्‍या है ये बात किसी से छिपी नहीं है। पहले जहां हमारे देश में केवल दो से तीन मंजिल के घर होते थे। वहीं आज 20 से 50 मंजिल तक के फ्लैट बनने लगे हैं। वजह साफ है कि आज हमारे देश की आबादी इतनी ज्‍यादा हो गई है कि उसके पास रहने को जगह ही नहीं बची है।

पहले जहां गांव देहात में बड़े बड़े घर हुआ करते थे। अब समय के साथ वहां भी छोटे छोटे घर होने लगे हैं। क्‍योंकि एक ही घर अब कई भाइयों में बंटता जा रहा है। इससे समझा जा सकता है कि जनसंख्‍या की समस्‍या का यदि समाधान नहीं हुआ तो आने वाले वर्षो में ये समस्‍या कितना भयावह रूप ले लेगी। शायद तब रहने की जगह के लिए हमारे देश में मारामारी तक शुरू हो सकती है।

प्रदूषण की बढ़ती समस्‍या

ज्‍यादा जनसंख्‍या यानि ज्‍यादा वायु प्रदूषण, जल प्रदुषण और अन्य प्रकार के प्रदुषण। क्‍योंकि जब ज्‍यादा लोग होंगे तो ज्‍यादा वाहन भी होंगे, ज्‍यादा खपत होगी, ज्‍यादा संसाधनों का दोहन होगा। इसलिए कहा जा सकता है कि यदि हमारे देश की जनसंख्‍या कम होती है। तो इससे प्रदूषण स्‍वत: ही कम हो जाता। लेकिन जनसंख्‍या ज्‍यादा होने से सरकार को ऑड ईवन जैसे नियम तक लागू करने पड़ते हैं। पर फिर भी प्रदूषण कम होने के आसार दिखाई नहीं पड़ते हैं।

जीवन स्‍तर का नीचे गिरना

जिन लोगों का परिवार बड़ा होता है, उन्‍हें भले ही ये उम्‍मीद होती हो कि अब उनका जीवन स्‍तर सुधर जाएगा। परन्‍तु सच्‍चाई ये है कि उन लोगों का आगे चलकर जीवन स्‍तर पहले से भी खराब हो जाता है। ना तो उनके परिवार में कोई उच्‍च शिक्षित हो पाता है, ना ही कोई बेहतर रोजगार की तलाश कर पाता है।

इसलिए कहा जा सकता है कि इससे लोगों का जीवन स्‍तर भी गिर जाता है। जबकि यदि वही लोग अपना परिवार छोटा रखें तो उनके बच्‍चे अच्‍छे से पढ़ लिखकर नौकरी के साथ समाज को आगे लाने में अपना योगदान अदा करें।

मंहगाई का बढ़ना

अर्थशास्‍त्र में ‘मांग और आपूर्ति’ का नियम हम सबने बचपन में पढ़ा है। ऐसे में जब किसी भी देश की जनसंख्‍या बढ़ जाती है तो उस देश में चीजों की मांग भी बढ़ने लगती है। ऐसे में या तो उस देश में चीजों की जमाखोरी होने लगती है या चीजों के दाम बढ़ने लगते हैं। जिसका सीधा प्रभाव उस देश की गरीब जनता पर पड़ता है। जबकि वहीं जिस देश की आबादी कम होगी वहां ना तो मांग बढ़ेगी ना ही जमाखोरी और मंहगाई जैसी समस्‍या खड़ी होगी। आज हमारे देश में मंहगाई कितनी बढ़ गई है ये बताने की जरूरत नहीं है।

देश के विकास की गति का प्रभावित होना

ऊपर हमने आपको जितनी भी चीजें बताई हैं वो सभी किसी भी देश के विकास में बेहद अहम भूमिका निभाती हैं। लेकिन यदि जिस देश में इतनी समस्‍या होगी वहां विकास का सारा पैसा जनता को सहूलियत देने में ही खर्च कर दिया जाएगा। जिससे उस देश की विकास की गति भी प्रभावित होगी साथ ही साथ वो देश कर्जदार भी बन सकता है। जिसका परिणाम बेहद भयावह होता है।

रोजगार का अभाव

हर देश में सीमित रोजगार के अवसर होते हैं। लेकिन जब जनसंख्‍या ज्‍यादा होगी तो इन अवसरों के लिए मारामारी होगी। साथ ही ये मारामारी तब और बढ़ जाएगी जब देश गरीबी के बोझ तले दबा होगा। इस समस्‍या को हमारे देश में बखूबी महसूस किया जा सकता है। क्‍योंकि आज यदि किसी विभाग में ग्रुप डी के कुछ पदों पर भी नौकरी निकल जाए तो उस पर भी हजारों की संख्‍या में आवेदन आ जाते हैं। सोचिए यदि जनसंख्‍या कम होती तो यही आवेदन की संख्‍या कई गुना कम क्‍यों ना हो जाती। जिससे सभी को आसानी से रोजगार मिल जाता।

अपराध में बढ़ोत्‍तरी

कहते हैं इंसान के पेट में जब भूख लगती है तो उसे कुछ भी अच्‍छा या बुरा नहीं लगता है। बस उसे रोटी ही दिखाई देती है। इसलिए कई बार देखा गया है कि जिन युवाओं को रोजगार नहीं मिलता है वो कोई गलत रास्‍ता भी पकड़ लेते हैं। जिससे हमारे समाज में अपराध बढ़ता है। अपराध के साथ ही समाज मे भय का वातावरण भी रहता है। सोचिए यदि जनसंख्‍या कम होती और सबको रोजगार मिल जाता और ये अपराध करने का किसी के पास समय ही नहीं रहता।

बिजली की किल्‍लत

हम अपने देश में हर साल देखते हैं कि गर्मी का मौसम आते ही सभी इलाकों में बिजली की भारी कटौती की जाती है। इसका एक कारण तो ये है कि हम लोग बिना जरूतर के भी बिजली के उपकरण चलते छोड़ देते हैं। लेकिन दूसरा प्रमुख कारण ये है कि जब जनसंख्‍या ज्‍यादा होगी तो ज्‍यादा पंखे, कूलर और एसी और लाइटें जलेंगी।

इससे बिजली विभाग पर‍ बिजली का बोझ बढ़ेगा। लेकिन यदि हर परिवार छोटा परिवार होता तो क्‍या ऐसा संभव नहीं था कि पूरा परिवार एक ही कूलर या एसी में बैठ कर काम चला सकता था। जिससे बिजली विभाग को बिजली की समस्या से भी ना जूझना पड़ता और परिवार का बिजली का बिल भी कम आता।

जनसंख्‍या रोकने के उपाय

जनसंख्या विस्फोट रोकने के उपाय

  • समाज में इस बात की जागरूकता फैलाई जाए कि चाहे बेटा हो या बेटी हमें दो बच्‍चों से ज्‍यादा बच्‍चे पैदा नहीं करने चाहिए। क्‍योंकि आज बेटी भी सभी क्षेत्रों में बेटों की बराबरी कर रही हैं।
  • ऐसे राज्‍यों में जनसंख्‍या नियंत्रण पर विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाए जिन राज्‍यों की जनसंख्‍या सबसे ज्‍यादा है। वहां के लोगों को बढ़ती जनसंख्‍या के प्रभावों से अवगत करवाना चाहिए।
  • महिलाओं को गर्भ निरोधक उपाय और पुरूषों को जनसंख्‍या नियंत्रण के बारे में घर घर जाकर जागरूक करना चाहिए। साथ ही जनसंख्‍या नियंत्रण के साधनों को राज्‍य सरकार की तरफ से मुफ्त में दिया जाना चाहिए। इसके अलावा लगातार निगरानी भी करनी चाहिए कि क्‍या इस तरह के अभियान कामयाब हो रहे हैं।
  • समाज में ऐसे धार्मिक गुरू जो कि हमेशा ज्‍यादा बच्‍चे पैदा करने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं। उन पर निगरानी रखनी चाहिए। साथ ही जरूरत पड़ने पर उन पर कार्रवाई भी करनी चाहिए।
  • सरकार को कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए जिससे उन लोगों को प्रोत्‍साहन मिले जो केवल एक या दो बच्‍चा पैदा करते हैं। साथ ही जिनके ज्‍यादा बच्‍चे होते हैं उन्‍हें सरकारी योजनाओं से वंचित रखने का प्लान भी तैयार किया जाना चाहिए।

Conclusion

आज आपने जाना कि जनसंख्या विस्फोट क्या है (Jansankhya visfot kya hai), जनसंख्या विस्फोट के कारण क्या है और इससे समाज को किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जनसंख्या विस्फोट रोकने के उपाय क्या है।

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नमस्कार दोस्तों, मैं Deepak "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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