Bharat ka Rashtriya gaan kisne likha tha | राष्ट्रीय गान किसने लिखा?
Rashtra gaan kisne likha tha; अपने देश का राष्ट्रगान हम सभी बचपन के दिनों से ही गाते और सुनते आए हैं। यही वजह है कि आज भी जब हमारे कानों में कहीं से भी राष्ट्रीयगान की आवाज सुनाई देती है, तो हमारे कदम खुद ब खुद रूक जाते हैं। मन करता है कि एक बार फिर उसी सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं जैसे हम कभी स्कूल के दिनों में खड़े हुआ करते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि Bharat ka Rashtriya gaan kisne likha tha.
राष्ट्रगान के बनने से लेकर आज तक का सफर कैसा रहा है? यकीन्न आप इसके बारे में नहीं जानते होंगे। आज हमारे इस लेख Bharat ka Rashtriya gaan kisne likha tha को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि राष्ट्रीय गान किसने लिखा? साथ ही इसकी रचना किस तरह से हुई। राष्ट्रगान का क्या महत्व है? तो चलिए जानते हैं कि rashtriya gaan kisne likha.
इस लेख द्वारा जानेंगे
- राष्ट्रगान क्या है?
- Rashtriya gaan kisne likha tha?
- राष्ट्रगान को कैसे मिली एक खास ‘लय’
- राष्ट्रगान में ‘जन गण मन’ का अर्थ
- राष्ट्रगान का हिंदी अनुवाद
- राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत में क्या अंतर है?
- राष्ट्रगान बजाते समय क्या रखें सावधानी?
- राष्ट्र गान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
राष्ट्रगान क्या है?
राष्ट्रीय गान किसने लिखा इस बारे में आपको हम जानकारी दें इससे पहले आइए आपको हम एक बार बता दें कि राष्ट्रगान क्या होता है। राष्ट्रगान एक ऐसा गाना होता है जो कि बेहद कम समय में उस देश के इतिहास और परंपरा के साथ उसकी विचारधारा की झलक दिखा दे।
इसकी खास बात ये होती है इन सब चीजों को एक लय बद्ध तरीके से रखा जाता है, जिससे ना सिर्फ सुनने और गाने में आनंद आए। बाल्कि इससे पूरे देश में एकजुटता की भावना भी उभर कर हमारे सामने आए। इसीलिए हर खास मौके पर इसे जरूर बजाया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि कोई भी गीत किसी भी देश का राष्ट्रगान बन जाएगा।
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इसके लिए एक सवैंधानिक प्रक्रिया होती है। जिसके जरिए जब तक इसे अपनाया नहीं जाता है, तब तक किसी भी देश का कोई भी गीत राष्ट्रीयगान नहीं बन सकता है। इस प्रक्रिया से ही भारत के राष्ट्रगान को भी गुजरना पड़ा था। तब जाकर इसे राष्ट्रीयगान का दर्जा हासिल हुआ था।
Rashtriya gaan kisne likha tha?
हमारे भारत देश का राष्ट्रगान गुरू “रविन्द्र नाथ टैगोर” ने लिखा था। जो कि बंगाल के रहने वाले थे। इसकी रचना उन्होंने सबसे पहले एक बंगाली कविता के रूप में की थी। इसके बाद 27 दिसंबर 1911 को इसे पहली बार गाया गया था। उस दिन कलकत्ता में कांग्रेस की एक सभा चल रही थी। लेकिन इस समय हमारे इस राष्ट्रीयगान को बंगाल के बाहर के लोग समझ नहीं पाए थे। क्योंकि इसकी भाषा अलग थी।
राष्ट्रीयगान भले ही काफी पहले लिखा जा चुका था। लेकिन इसे भारत के राष्ट्रगान के रूप में मान्यता साल 1950 में मिली थी। क्योंकि इस वर्ष हमारा संविधान लागू हुआ था। जिसमें हमने अपने राष्ट्रगान को भी मान्यता दी थी। तब से यह भारत का अधिकृत तौर पर राष्ट्रगान कहलाने लगा। जो कि आज भी है।
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राष्ट्रगान को कैसे मिली एक खास ‘लय’
आज आप सभी ने देखा होगा कि जब भी हम राष्ट्रगान गाते हैं तो उसकी एक बेहद ही खूबसूरत लय होती है। जिससे इसे गाने में हमें कभी भी परेशानी नहीं होती है। इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, गुरू रविन्द्र नाथ ने तो इसे सबसे पहले इसे एक कविता के रूप में लिखा था। जिसे गाया नहीं जा सकता था।
इसके बाद इसे आंध्रप्रदेश के एक छोटे से जिले मदनपिल्ले के एक अध्यापक ने पढ़ा। उन्हें यह बेहद ही पसंद आया। इसके बाद उन्होंने साल 1919 में गुरू रविन्द्र नाथ टैगोर को अपने घर पर बुलाया और उनसे इसका अंग्रेजी मे अनुवाद करने को कहा। ताकि वो इस राष्ट्रगान को बेहतर तरीके से समझ सकें। इसके बाद गुरू रविन्द्र नाथ टैगोर ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया।
अब उन अध्यापक जी ने इसे अच्छे से समझा और फिर लय बद्ध तरीके से दोबारा से लिखा। क्योंकि वो खुद भी एक कवि थे। इसलिए उनके लिए ये काम बेहद ही आसान था। उनके द्वारा लय बद्ध किए गए राष्ट्रगान को ही हम लोग आज एकजुटता के साथ भारत की शान के तौर पर गाते हैं।
राष्ट्रगान में ‘जन गण मन’ का अर्थ
‘जन गण मन’ का अर्थ होता है कि भारत के सभी लोग और नागरिक आपने मन से ये मानते हैं कि हमारा देश की हमारा भाग्य विधाता है। इसलिए हमें इसके प्रति हमेशा समर्पित रहना होगा।
इसके अलावा जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि हमारा राष्ट्रगान मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया था। लेकिन बाद में इसे हिंदी भाषा में अनुवाद किया गया था। जिसके बीच में एक सिंध नाम का शब्द भी आता था। लेकिन बाद में हमें इसमें संशोधन करना पड़ा था। क्योंकि सिंध इस समय पाकिस्तान का एक प्रांत है। इसलिए यह शब्द हमारे राष्ट्रीयगान में सही नहीं लगता है। इसलिए इसे आगे बदलकर सिंधु कर दिया गया। जो कि भारत की नदी है। आज जब हम राष्ट्रगान गाते हैं यह शब्द बीच में आता है।
राष्ट्रगान का हिंदी अनुवाद
आपने अभी तक राष्ट्रगान को हमेशा गीन के रूप ही सुना होगा। पर आज हम आपको इसका हिंदी अनुवाद बताते हैं। जो कि ना सिर्फ आपके लिए नया होगा, बाल्कि आप इससे राष्ट्रगान गान का सही मतलब भी समझ सकते हैं।
‘सभी लोगों के मस्तिष्क के शासक, कला तुम हो,
भारत की किस्मत बनाने वाले।
तुम्हारा नाम पंजाब, सिन्धु, गुजरात और मराठों के दिलों के साथ ही बंगाल, ओडिसा, और द्रविड़ों को भी उत्तेजित करता है,
इसकी गूंज विन्ध्य और हिमालय के पहाड़ों में सुनाई देती है।
गंगा और जमुना के संगीत में मिलती है और भारतीय समुद्र की लहरों द्वारा गुणगान किया जाता है।
वो तुम्हारे आशीर्वाद के लिये प्रार्थना करते हैं और तुम्हारी प्रशंसा के गीत गाते हैं।
तुम्हारे हाथों में ही सभी लोगों की सुरक्षा का इंतजार है,
तुम भारत की किस्मत को बनाने वाले।
जय हो जय हो जय हो तुम्हारी।’
राष्ट्रगान बजाते समय क्या रखें सावधानी?
कई बार जब हम किसी निजी कार्यक्रम का आयोजन कर रहे होते हैं तो सोचते हैं कि क्यों ना इस खास मौके पर हम लोग राष्ट्रीयगान ही बजा दें। जिससे लोगों में देश भक्ति की भावना आ जाए। लेकिन जब भी हम राष्ट्रगान बजाएं तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि बजाने से पहले सभी लोगों को आगाह करते हुए खड़े होने के लिए कह दें।
इससे सभी लोगों को पता चल जाएगा कि अब आगे राष्ट्रगान बजने वाला है। यदि सभी लोागों का वहां खड़े होना संभव ना हो तो उस दौरान हम राष्ट्रीगान ना ही बजाएं। लेकिन इस दौरान यदि वहां Cameraman या Videographer हो तो उन पर यह नियम लागू नहीं होता है।
इसके अलावा यह भी जरूरी होता है कि राष्ट्रगान जब बजे तो सभी लोग इसके साथ ही खुद भी गाएं। किसी भी इंसान को चुप नहीं रहना चाहिए। इनके साथ ही यदि कोई इस नियम का पालन ना करे तो एक तरह से यह राष्ट्रीयगान का अपमान होता है।
इसके साथ ही हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी अपनी गाड़ी या डीजे आदि में राह चलते राष्ट्रीयगान की धुन या गीत बजाते हुए नहीं ले जाना चाहिए। इससे आपको जेल तक जाना पड़ सकता है। क्योंकि राष्ट्रीयगान का इस तरह से अपमान करना एक कानूनी अपराध है। इसलिए हमारा आपको सुझाव रहेगा कि राष्ट्रगान हमेशा मन में रखें और जब जरूरत हो तभी इसे बजाएं।
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राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत में क्या अंतर है?
बहुत से लोगों को लगता है कि राष्ट्रीयगान और राष्ट्रीय गीत एक ही चीज होती है। या एक ही गाने को दो नामों से जाना जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। दरअसल, राष्ट्रीय गान हमारे संविधान के द्वारा साल 1950 में अपनाया गया था। इसे गाने और सुनने के लिए एक खास तरह का नियम बनाया गया है।
जबकि यदि इसका कोई पालन नहीं करता है। तो उसके लिए दंड की व्यवस्था भी की गई है। इसके साथ ही राष्ट्रगान का सम्मान करना हमारे मौलिक कर्तव्य में भी शामिल किया गया है। जिससे इसका अपने आप में विशेष महत्व है।
इसी के उलट यदि हम राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की बात करें तो इसे संविधान में किसी तरह का दर्जा नहीं दिया गया है। साथ ही इसे गाना मौलिक कर्तव्य भी नहीं बताया गया है। इसके पीछे एक वजह ये भी है कि जब संविधान सभा राष्ट्रगान पर विचार कर रही थी तो उस समय ‘वंदे मातरम’ की भी मांग उठी थी।
लेकिन संविधान सभा में शामिल मुस्लिम नेताओं ने इसके पीछे एक तर्क दिया जो कि था कि इसके अंदर मां दुर्गा की वंदना की गई है। जो कि किसी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय गीत के तौर पर शोभा नहीं देता है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म में किसी व्यक्ति या वस्तु की इस तरह से पूजा करना गलत माना गया है।
जबकि यदि हम इसके रचयिता की बात करें तो इसकी रचना बकिमचंद्र चट्टोपाध्धाय ने की थी। उनके द्वारा साल 1882 में इसकी रचना की गई थी। हालांकि, क्रांतिकारी लोगों का आज भी यह सबसे पसंददीदा गीत माना जाता है। इसलिए आंदोलन, विरोध, प्रदर्शन आदि में इसे आप जरूर सुन सकते हैं।
राष्ट्र गान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- राष्ट्रगान को गाने में वैसे तो कुल समय 52 सेकिंड का समय लगता है। लेकिन यदि हम इसके संक्षिप्त रूप में गाएं तो केवल 20 सेकिंड का समय लगता है। जो कि किसी आपात परिस्थिति में ही गाया जाता है।
- कानून के मुताबिक राष्ट्रगान गाने के लिए किसी इंसान को बाध्य नहीं किया जा सकता है। केवल उसके लिए जरूरी है कि उस दौरान वो सावधान और शांतिपूर्वक खड़ा रहे।
- भारत सरकार के नियमों के मुताबिक यदि राष्ट्रगान का प्रयोग फिल्म के किसी भाग में किया गया हो तो जब वह सुनाई दे तो देखने वालों का खड़े होना अवश्यक नहीं है। हालांकि, इस तरह का संयेाग शायद ही कभी बना हो।
- यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान का अपमान कर देता है तो उसके खिलाफ ‘Prevention of Insults to National Honour Act 1971’ की धारा 3 के तहत कार्रवाई की जाती है। जो कि एक दंड के रूप में होता है।
- क्योंकि राष्ट्रगान अंग्रेजों के समय में लिखा गया था। ऐसे में कभी कभार ये चर्चा भी सुनने को मिलती है कि इसे गुरू रविन्द्र नाथ टैगोर ने अंग्रेज अधिकारी जार्ज पंचम की तारीफ में लिखा था। ताकि उन्हें खुश किया जा सके। लेकिन सच तो ये है कि इसे रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही साल 1939 में अपने एक पत्र में खारिज कर दिया था। जिससे ऐसा कोई सवाल रह ही नहीं जाता है।
- गुरू रविन्द्र नाथ अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत के राष्ट्रगान की रचना के साथ ही बांग्लादेश के राष्ट्रगान ‘अमार सोनार बंगला’ की भी रचना की है। जो कि आज भी वहां मान्य है।
आपने जाना
आज आपने जाना कि Bharat ka Rashtriya gaan kisne likha tha, और राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत में क्या अंतर है। आशा है अब आप यह जान चुकें होंगे कि राष्ट्रगान के बनने से लेकर आज तक का सफर कैसा रहा है, और आपको राष्ट्र गान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य पसंद आये होंगे।
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